Corona Vaccination
सरकार ने कोरोना वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच के समय को 6-8 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया है.
कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए देश में बड़े स्तर पर टीकाकरण (Corona Vaccine) का अभियान चल रहा है. इसके तहत अब तक देश में कोरोना वैक्सीन (Covid 19 Vaccine) की 21 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं.
लेकिन हाल ही में सरकार ने कोरोना वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच के समय को 6-8 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया है. इस बीच देश में वैक्सीन की कमी भी देखने को मिल रही है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति कोरोना की पहली डोज लगवा चुका है और अगर उसे दूसरी डोज उचित समय पर नहीं मिलती है तो आखिर उसे क्या नुकसान होगा? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब आप यहां जान सकते हैं…
- क्यों बढ़ाया गया है दो डोज के बीच का अंतराल?
- अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के आकाश हेल्थकेयर में डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के डॉ. विक्रमजीत सिंह ने इस बाबत बताया कि विश्व के कई स्वास्थ्य संगठन वैक्सीन की दो डोज के बीच अंतराल की सलाह देते हैं. पहले दो डोज के बीच का अंतराल 4-6 हफ्ते था. फिर इसे बढ़ाकर 6-8 हफ्ते किया गया. इसके बाद अब इस अंतराल को बढ़ाकर 12-14 हफ्ते कर दिया गया है. उनका दावा है कि इस अंतराल के जरिये वैक्सीन की प्रभाविकता 90 फीसदी हो जाती है.
- अगर तय समय पर न मिले दूसरी डोज तो क्या होगा नुकसान?
- डॉ. सिंह के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को समय पर कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं मिल पाती है तो उस व्यक्ति को घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसे में लोग कुछ दिनों के बाद भी टीका लगवा सकते हैं. इस दौरान यह ध्यान रखना होगा कि दूसरी डोज के तय से अधिक देरी ना हो. अगर ऐसा होता है तो पहली डोज के बाद शरीर में बनी इम्युनिटी पावर कमजोर हो जाती है. साथ ही एंटीबॉडी को अधिक बूस्ट नहीं मिल पाता है.
- कितनी देरी की जा सकती है?
- डॉ. सिंह ने बताया कि वैक्सीन की दोनों डोज के बीच का अंतराल 16 हफ्तों से अधिक समय का नहीं होना चाहिए. चूंकि वैक्सीन की दूसरी डोज को बूस्टर डोज के रूप में जाना जाता है. ऐसे में दूसरी डोज लगवाना बेहद जरूरी है. इस डोज से शरीर में पहले से बनी एंटीबॉडी और सशक्त हो जाती हैं.
- क्या दो अलग-अलग वैक्सीन की डोज ली जा सकती है?
- भारत में इस समय लग रही दोनों कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन की कार्यप्रणाली अलग-अलग है. इसलिए अगर दोनों डोज में वैक्सीन अलग-अलग होगी तो इसकी प्रभाविकता पर असर पड़ेगा और वो कम हो जाएगी. अगर दोनों वैक्सीन अलग होंगी तो व्यक्ति को बूस्टर डोज नहीं मिल पाएगा.